जाने कितनी दुर है मंजिल

जाने कितनी दुर है मंजिल

–“ढल गई है राते ढल्ते ढल्ते, बुझ गई सामे जल्ते जल्ते”– “जाने कितनी दुर है मंजिल, थक गये हम युही चलते चलते” ––––––––––––––––––––––––––––...

उसका नाम लिखते है दिवारों पर अक्सर

उसका नाम लिखते है दिवारों पर अक्सर

चलो आज एक नया काम करते है,  चलो आज उसे यु सरेआम करते है उसका नाम लिखते है दिवारों पर अक्सर, और उसे आँख बंद करके सलाम करते है

ये उस्का हुस्न था या मेरा प्यार था

ये उस्का हुस्न था या मेरा प्यार था

यु तो पास से हजार बार गुजरा,  आज इस लिए आया कि बिमार था,  सरकश लेहेजा और माथे पे बल,  जाने इसे जिस चिज का खुमार था,  वो गुस्से मे और...

भीड़ मे खुद को जब भी पाया तो तन्हा ही पाया

भीड़ मे खुद को जब भी पाया तो तन्हा ही पाया

वो एक चेहरा फिर कभी न देख पाया , व़ो एक हँसी जिसको कभी न समेट पाया , एक दिन अचानक बिछड़ के फिर न मिल पाया , वरना मिलने वालो को बिछड़ ब...

 
TOP