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“तुम इतने जुल्म सेहकर भि बगावत क्यु नही करते”

इस सायरीका हरेक शब्द समर्पित है मेरे मधेशी भाइयो के लिए जो शदियो से शोषण मे रहे है ।  

“ये मेरे मधेश के लोगो तुम शिकायत क्यु नही करते”
“तुम इतने जुल्म सेहकर भि बगावत क्यु नही करते”
“तुम्हारे उपर तुम जैसे हि हुकुमत क्यु नही करते”
“ये भुक, ये दगाबाजी तुम्हारा हि मुकद्दर क्यु”
“मुकद्दरको बदलने कि तुम कोशिश क्यु नही करते”


–जय मधेश–
अरुण साह


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