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आज कुछ पुरानी यादें फिर............

आज कुछ पुरानी यादें फिर ताजा होई जैसे कोई गुनहगार कि तरह उसके सामने से जा रहा था, बस जैसे फाँसी लगने वाली हो, जान निकल रहि थी,

पर अपने सैयम को बरकरार रखते हुई सिधा निकल गया, थोरी देर के बाद आँखो से जैसे बारीश कि बुंदो कि तरह आँसु के बरसात हो गए,

तब ऐहसास हुआ बारबार मर्ने से भला एक बार मर्ना अच्छा होता है ।

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